शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

क्यू होता है, ऐसा ??

क्यू होता है ऐसा ?

कभी जाने

कभी अनजाने में।

कभी गलती से तो कभी जानबूझकर

कभी थोड़ा तो कभी ज्यादा।

कभी कम तो कभी बोहोत ही ज्यादा।

ये होता है मेरे ख्वाब के जैसा 

क्यू होता है, ऐसा ?

कभी मैं हस कर रोता हु।

तो कभी रो कर हस देता हूं।

अपनी दिल की बाते यूँ तो साफ साफ कह देता हूँ।

सब पर यकीन जल्दी हो जाता है,

मेरे दिल को जैसा।

क्यू होता है ऐसा ?

रात अकेले में जब हम खुद के निकट होते हैं।

आसुओ संग अपने करीब होते है।

ना जाने दिल की हसरत मुझे कब तक रुलायेगी।

मेरे ख्वाबो की शहजादी जाने कब तलक आयेगी ?

फिर भी इस बीच हर कोई क्यू पूछता है, मुझे तू है कैसा ?

आखिर क्यू होता है ऐसा ??

पापा के सवालों से भी ना बच पाता हूं।

होकर खामोश कुछ कह भी ना पाता हूं।

मेरे मष्तिक में बस तुम्हारा ही ख्याल आता है।

तुम क्यू हो इस दिल मे यही सवाल मुझे बार बार आता है।

इन सारी कल्पनाओ से अभी तक वंचित हो रहा मैं जैसा ।

आखिर क्यू होता है, ऐसा ?????